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दिल्ली के न्यू उस्मानपुर इलाके में रस्सी- कूद खेलते हुए 9 साल के मासूम की गई जान

दिल्ली। न्यू उस्मानपुर इलाके में 9 साल के मासूम की खेल- खेल में ही जान चली गई, दरअसल मासूम अपने घर में रस्सी कूद खेल रहा था, वहीं दूसरे कमरे में बच्चे की मां अपने दूसरे बेटे को सुला रही थी। खेलते- खेलते मासूम की रस्सी चारपाई पर उलझ गई, साथ ही उसके गले में भी फंदे की तरह बंध गई। रस्सी का फंदा टाइट होने की वजह से वह मासूम के गले पर कस के बंध गई, जिससे मासूम का गला घूटने लगा, और उसकी मौत हो गई। मृतक बच्चे का नाम हार्दिक था।

 बराबर वाले में कमरे में दूसरे बच्चे को सुला रही मां जब हार्दिक को देखने आई तो उसके होश उड़ गए। उसने शोर मचाया तो पड़ोसी और बाकी परिजन वहां इकट्ठा हो गए। फौरन हार्दिक को नजदीकी जग प्रवेश चंद अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

न्यू उस्मानपुर थाना पुलिस परिवार से पूछताछ कर मामले की छानबीन कर रही है। माता-पिता का रोते-रोते बुरा हाल है। जानकारी के अनुसार मूलरूप से भिंड, मध्य प्रदेश का रहने वाला हार्दिक का परिवार गली नंबर-4, जे-ब्लॉक, करतार नगर में रहता था। इसके परिवार में पिता अरविंद सिंह, मां लक्ष्मी देवी और पांच साल का छोटा भाई किट्टू है।

हार्दिक उत्तर-पूर्वी दिल्ली के एक पब्लिक स्कूल में 5वीं कक्षा का छात्र था। अरविंद साहिबाबाद की एक कंपनी में अकाउंट्स मैनेजर हैं। परिवार दूसरी मंजिल पर रहता है। पहली मंजिल पर अरविंद का छोटा भाई सुनील और ग्राउंड फ्लोर में सालिग राम अपने परिवार के साथ रहता है। बुधवार दोपहर के समय घर के सभी पुरुष सदस्य अपने-अपने दफ्तर गए थे। शाम करीब 4.00 बजे लक्ष्मी छोटे बेटे किट्टू को लेकर एक कमरे में लेटी हुई थी।

वह उसे सुलाने की कोशिश कर रही थी। इस दौरान हार्दिक घर के ही दूसरे कमरे में कूदने वाली रस्सी से खेल रहा था। उस कमरे में एक अतिरिक्त चारपाई दीवार के सहारे खड़ी हुई थी। अचानक रस्सी कूदते समय वह चारपाई के पाए में उलझी और हार्दिक के गले में फंदा लग गया। फंदा भी ऐसा लगा कि उसकी आवाज भी नहीं निकल पाई।

कुछ देर बाद लक्ष्मी बेटे को देखने के लिए दूसरे कमरे में पहुंची उसके पैरों से जमीन खिसक गई। हार्दिक के गले में फंदा लगा था और वह अचेत था। लक्ष्मी ने शोर मचा दिया। किसी तरह उसने फंदा खोला और बेटे को नीचे लेकर भागी। पड़ोसी पूरन लक्ष्मी को लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। डॉक्टरों का कहना था कि बच्चे की काफी देर पहले मौत हो चुकी थी।

सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर मोर्चरी भेजा। बृहस्पतिवार को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने परिजनों के आग्रह पर हार्दिक का शव बिना पोस्टमार्टम के ही परिवार को सौंप दिया। परिजनों ने निगम बोध घाट पर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। हालांकि पुलिस अभी भी मामले की जांच कर रही है।

किसी को भी हादसे में हार्दिक की मौत का नहीं हो रहा यकीन
भला रस्सी से खेलते समय कैसे किसी के गले में फंदा लग सकता है। घटना को लेकर बृहस्पतिवार दिनभर लोग चर्चा करते रहे। लोगों का कहना था कि जिस तरह से हादसा हुआ, उस पर यकीन करना बेहद मुश्किल है। मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जिस रस्सी से हार्दिक रस्सी कूद रहा था। वह काफी बड़ी थी। वहीं पास में चारपाई भी खड़ी थी। ऐसे में बड़ी रस्सी चारपाई के पाए में फंसी और कूदने के दौरान हार्दिक के गले में फंदा लग गया। कूदने के कारण झटका लगने से  बिना आवाज के ही उसकी मौत हो गई। पुलिस परिवार से पूछताछ कर मामले की छानबीन कर रही है।

वायु सेना में पायलट बनना चाहता था हार्दिक
हार्दिक की मौत के बाद से उसके परिजनों का रोते-रोते बुरा हाल है। बेटे की मौत के बाद से लक्ष्मी देवी ने तो खाना-पीना भी छोड़ा हुआ है। एक परिजन ने बताया कि हार्दिक अपने पिता से वायु सेना में पायलट बनने की बात कहता था।

यू-ट्यूब पर भी वह हवाई जहाज और सेना से जुड़े वीडियो देखता था। सेना में जाने का अभ्यास करने की बात कर अक्सर हार्दिक रस्सी कूदता था। घटना के बाद लक्ष्मी बार-बार रोते हुए यही कहे जा रही थी कि उसने समय पर जाकर क्यों नहीं देखा। हार्दिक पढ़ने में बहुत होशियार था। हमेशा उसके 90 फीसदी से ज्यादा अंक आते थे। उसकी मौत के बाद रिश्तेदारों का भी रोते-रोते बुरा हाल था।

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