अमेरिकी मंदी की पहेली
इस समय ये सवाल गहरी चर्चा का विषय है कि अमेरिका मंदी से ग्रस्त हुआ है या नहीं। आशंका यह है कि अमेरिका मंदी का शिकार हुआ, तो उसका असर सारी दुनिया पर पड़ेगा।
अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसलिए वहां उभरने वाले ट्रेंड का असर सारी दुनिया पर पड़ता है। समझा जाता है कि अगर अमेरिका गहरी मंदी का शिकार हुआ, तो उससे भारत और चीन जैसे देशों के निर्यात भी प्रभावित होंगे। उससे अमेरिकी मंदी फैलते हुए सारी दुनिया में पहुंच सकती है। तो इसीलिए इस समय ये सवाल गहरी चर्चा का विषय बना हुआ है कि अमेरिका मंदी से ग्रस्त हुआ है या नहीं। अमेरिका में लगातार दो तिमाहियों में अर्थव्यवस्था सिकुड़ी, इस बात की पुष्टि हो चुकी है। आम तौर पर ऐसी स्थिति को मंदी की पुष्टि माना जाता है। लेकिन जो बाइडेन प्रशासन यह मानने को तैयार नहीं है कि अमेरिका में मंदी आ चुकी है। उसका दावा है कि वहां तमाम दूसरे आर्थिक संकेत सकारात्मक हैं। मसलन, बड़ी संख्या में रोजगार जाने, उद्योगों को नुकसान होने या फैक्टरियों के बंद होने की खबर नहीं हैं। इसीलिए अमेरिका अभी किस हाल में है, इस पर वहां और दुनिया के बाकी हिस्सों में भी इस प्रश्न पर बहस छिड़ी हुई है। पिछले हफ्ते जारी आंकड़ों से सामने आया कि अप्रैल से जून के बीच अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 0.9 फीसदी गिरावट आई।
उसके पहले जनवरी से मार्च तक अर्थव्यवस्था 1.6 प्रतिशत सिकुड़ी थी। वैश्विक चिंता इसलिए गहराई है क्योंकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़े अर्थव्यवस्था चीन की आर्थिक वृद्धि दर भी रफ्तार खो चुकी है। अब अगर दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का यह हाल हो, तो सबका चिंतित होना स्वाभाविक ही है। पिछले हफ्ते चीन सरकार की विशेष बैठक में आर्थिक स्थितियों पर विचार किया गया। लेकिन यह नहीं बताया गया है कि चीन ने आर्थिक विकास दर के बारे में क्या नया लक्ष्य तय किया है।
पहले चीन ने इस वित्त वर्ष के लिए 5.5 फीसदी की वृद्धि दर तय की थी। अब इसे हासिल करना लगभग असंभव माना जा रहा है। तो चिंता की ठोस वजहें हैं। वैसे अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि अमेरिका अभी मंदी ग्रस्त नहीं है, तब भी फेडरल रिजर्व के ब्याज दर बढ़ाने की नीति का परिणाम आगे मंदी के रूप में ही सामने आएगा। इसलिए दुनिया को इसका असर झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए।