जमानत के लिए व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता का ख्याल रखने और संतुलित करने की जरूरत
नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने कहा कि आपराधिक मामलों में संदिग्ध को हिरासत में लेकर पूछताछ करना, अपराध को सुलझाने के बुनियादी और प्रभावी तरीकों में से एक है, लेकिन व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता का ख्याल रखने और संतुलित करने की जरूरत है। अदालत ने धोखाधड़ी और हेराफेरी के मामले में आरोपी बिल्डर को अग्रिम जमानत प्रदान करते हुए यह टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति आशा मेनन ने अपने फैसले में कहा कि प्रत्येक मामले के तथ्य एक आरोपी की अग्रिम जमानत की पात्रता तय करते है। अदालत ने कहा है कि जहां एक संदिग्ध से पूछताछ अपराध को सुलझाने के बुनियादी और प्रभावी तरीकों में से एक है, वहीं एक व्यक्ति की स्वतंत्रता को भी संतुलित करने की जरूरत है।