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भाजपा के साथी एनडीए में लौटेंगे!

क्या फिर से पुराना एनडीए बन सकता है? भाजपा का साथ छोड़ कर जा चुकी पार्टियां क्या फिर से उसके साथ जुड़ सकती हैं? कम से कम राष्ट्रपति चुनाव में ऐसा हो रहा है और तभी भाजपा के नेता उम्मीद कर रहे हैं कि उसके बाद भी एनडीए के पुराने साथी भाजपा से जुड़े रह सकते हैं। राष्ट्रपति चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहा है वैसे वैसे भाजपा के पुराने साथी एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा करते जा रहे हैं। हो सकता है कि किसी मजबूरी में कुछ पार्टियां मुर्मू का समर्थन कर रही हों लेकिन इसके पीछे एक डिजाइन भी साफ दिख रहा है। यह अगले लोकसभा चुनाव से पहले की तैयारी है।

आंध्र प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी टीडीपी का द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करना मामूली नहीं है। टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू लगातार भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। लेकिन अब उन्होंने मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। उनसे पहले अकाली दल ने भी समर्थन दिया। कृषि कानूनों के विरोध में एनडीए और केंद्र सरकार से अलग होने के बाद दोनों पार्टियों में दूरी बढ़ी थी और ऐसा लग रहा था कि पंजाब में भाजपा अकाली दल को खत्म करके उसकी जगह लेने की राजनीति कर रही है। लेकिन अचानक सब बदल गया है। जेपी नड्डा ने सुखबीर बादल से बात की और उसके बाद बादल ने एनडीए उम्मीदवार के समर्थन का ऐलान किया।

सबसे हैरान करने वाला फैसला महाराष्ट्र में हुआ है। शिव सेना के 55 में से 40 विधायक टूट गए हैं और तीन शहरों में पार्षदों व पूर्व पार्षदों ने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया है। लेकिन सांसद साथ नहीं छोड़ रहे हैं! तभी उद्धव ठाकरे ने सांसदों की मीटिंग बुलाई तो 18 में से 16 सांसद पहुंचे और एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने को कहा। सासंदों को टूटने से रोकने की मजबूरी हो या कोई और कारण लेकिन उद्धव ठाकरे ने अपनी पुरानी सहयोगी भाजपा की उम्मीदवार को समर्थन कर दिया।

इतनी ही हैरानी का फैसला झारखंड में होगा। ध्यान रहे कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन पहले भाजपा की सरकार में उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनते पिता शिबू सोरेन भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। वे एनडीए के पुराने सहयोगी हैं। वे भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि मुर्मू आदिवासी हैं इसलिए उनकी मजबूरी है। ध्यान रहे 2012 में झारखंड मुक्ति मोर्चा एनडीए में थे और एनडीए ने दिग्गज आदिवासी नेता पीए संगमा को उम्मीदवार बनाया था पर जेएमएम ने यूपीए के प्रणब मुखर्जी को समर्थन दिया था। एनडीए का साथ छोडऩे वालों में कर्नाटक की विपक्षी जेडीएस ओडि़सा में सरकार चला रही बीजद भी एनडीए उम्मीदवार का समर्थन कर रहे हैं। सो, दो-चार पार्टियों को छोड़ दें तो लगभग सारी पुरानी सहयोगी पार्टियां भाजपा का साथ दे रही हैं।

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