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मध्यप्रदेश के भाजपा नेता अपनों के लिए बन सकते हैं परेशानी

भोपाल। मध्यप्रदेश में आगामी विधान सभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अभी से अपने मोहरे जमाने लगी हैं। वहीं मंत्री प्रद्मुन सिंह तोमर सहित कई नेता गांव-गांव घूमकर लोगों के दिलों में अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन भाजपा में इन दिनों उनके अपने ही अपनों के लिए परेशानी बन रहे हैं। इन्हें आने वाले समय में नियंत्रित नहीं किया गया तो पार्टी के लिए चुनाव में विपरीत परिस्थितियां पैदा हो सकते हैं। ऐसे नेता एक दो नहीं बल्कि लगभग हर जिले में मौजूद हैं। सांसद रीती पाठक और विधायक केदार शुक्ला के बीलच मतभेदों के कारण पुलिस एक्शन से सरकार घेरे मं फंस गई है। इसी प्रकार उमा भारती के शराब दुकान पर पत्थर फेंकने से भी सरकार को जवाब देना मुश्किल हो गया था। ऐसी स्थिति सरकार और संगठन के साथ कभी भी बन सकती है।

भाजपा के सत्तारूढ़ दल होने भाजपा में दूसरे दलों व बिना राजनीतिक बैकग्राउंड वाले लोग का रुझान बढ़ा है तो पार्टी के भीतर भी कई ऐसे नेता हैं जिन्हें मौका नहीं मिल पाया है। जो लोग राजनीति में आगे हो गए हैं, ऐसे सभी लोगों के कारण भाजपा में प्रतियोगी परस्थितियां निर्मित हो गई हैं। पार्टी के नेताओं के लिए परेशानियों का कारण बनने वालों में इन दिनों सबसे बड़ा नाम उमा भारती है जो चुनाव लडऩे का ऐलान भी कर चुकी हैँ। सरकार को पहले शराब बंद पर घेरकर परेशानी में डाल चुकी हैं तो अभी रायसेन के शिव मंदिर का ताला खुलवाकर वहां अभिषेक करने की घोषणा से सरकार के लिए मुसीबत पैदा करती नजर आ रही हैं।

ग्वालियर में कांग्रेस से आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण समीकरण बिगडऩे की स्थिति बन सकती है जिससे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा, जयभान सिंह पवैया, नरोत्तम मिश्रा और कई नेताओं को कई जगह समझौते करने पड़ सकते हें। सिंधिया को गुना-शिवपुरी लोकसभा से सांसद केपी यादव परेशानी खड़ी कर सकते हैं क्योंकि वे सीधी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को उनकी शिकायत कर चुके हैं। वहीं, सिंधिया को भी अपने ग्वालियर-चंबल संभाग गढ़ में अपने लोगों के लिए लड़ाई में कुछ समझौते करते हुए समर्थकों की खुशी को कुरबान करना होगा। भोपाल में मंत्री विश्वास सारंग, विधायक रामेश्वर शर्मा, पूर्व महापौर आलोक शर्मा व उमाशंकर गुप्ता, भाजपा के प्रदेश कार्यालय मंत्री भगवानदास सबनानी, पूर्व विधायक सुरेन्द्रनाथ सिंह व धु्रवनारायण सिंह का राजनीति सफर लगभग एक समयावधि वाला माना जा सकता है। इनमें से उमाशंकर गुप्ता तो सरकार के खिलाफ धरना दे चुके हैं। इन सभी लोगों के बीच टिकट को लेकर कभी न कभी खींचतान की स्थिति बनी है और इसके बाद सार्वजनिक स्थानों को छोडक़र वैसे संबंध सामान्य नहीं हो सके हैं। इंदौर में सुमित्रा महाजन, कैलश विजयवर्गीय के बीच राजनीति खींचतान की कहानी लंबी है जिसके चलते टिकट बंटवारे में हर बार किसी न किसी स्तर पर समन्वय बनाने की जरूरत पड़ती रही है।

अभी विजयवर्गीय अनुशासन का पाठ पढ़ाने में लगे हुए हैं और जिला अध्यक्षों को टिकट नहीं देने की वकालत कर अपने विरोधियों के लिए परेशानी खड़ी करने की शुरुआत कर चुके हैं। इसी तरह भारतीय जनता युवा मोर्चे के पदाधिकारियों को भी अनुशासन में रहने की नसीहत दे चुके हैं। वहीं, भाजपा के प्रवक्ता उमेश शर्मा भी भाजपा जिला अध्यक्ष को सीधे तौर पर चेतावनी दे चुके हैं। ऐसे में इंदौर जिले में चल रही नेताओं के बीच खींचतान पार्टी के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है। भाजपा में सीनियर होने के बावजूद मंत्री बनाए जाने से दूर रखे गए अजय विश्नोई की नाराजगी जबलपुर में पार्टी को भारी पड़ सकती है। क्योंकि विश्नोई मंत्रिमण्डल में नहीं लिए जाने पर कई बार नाराजगी जता चुके हैं। हालांकि कुछ समय से वे शांत बैठै हैं। मगर, सतना विधायक नारायण त्रिपाठी कमलनाथ सरकार के समय भाजपा छोडऩे वाले थे लेकिन सत्ता परिवर्तन हो जाने से उनका फैसला टल गया। इस समय वे विंध्य राज्य बनाए जाने के लिए बयानबाजी कर रहे हैं जिसमें सरकार के खिलाफ भी कुछ बातें कह चुके हैं।

पूर्व मंत्री जयंत मलैया भी एक उपचुनाव में टिकट को लेकर नाराज हुए और उसके बाद से उनकी राजनीतिक सक्रियता कम हो गई है। वहीं, सीधी में देखें तो सांसद व विधायक आमने-सामने हैं और यह आज का नहीं बल्कि चुनाव के समय से चल रहा है। अभी तो विधायक ने पुलिस से कहकर संसद के निकट रहे एक यूट्यूबर व उसके साथियों को अमानवीय प्रताडऩा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सागर में मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह के बीच राजनीतिक प्रतिबद्धता आज भी विरोधी दलों के नेताओं जैसी ही बनी हुई हे। इसी तरह सांसद ढालसिंह बिसेन का भाजपा के स्थानीय नेताओं के साथ पुराना विवाद है जो अभी भी गाहे ब गाहे खड़ा हो जाता है। कांग्रेस से भाजपा में आए मंत्री हरदीप सिंह डंग को हर हाल ही में कार्यकर्ताओं ने अपने कार्यक्रम से भगा दिया था।

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