राजस्थान, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और लेसर फ्लोरिकन को बचाने की कवायद
राजस्थान । विलुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और लेसर फ्लोरिकन पक्षियों की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात और राजस्थान के निजी व सरकारी बिजली उत्पादकों को निर्देश दिया है कि वह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में बर्ड डायवर्टर्स की स्थापना का काम पूरा करें। अदालत ने 20 जुलाई से पहले यह काम पूरा करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों की सरकारों और निजी बिजली उत्पादकों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि वह बिजली ट्रांसमिशन लाइनों की कुल लंबाई और इसके लिए जरूरी बर्ड डायवर्टर्स की अनुमानित संख्या का आकलन करने के लिए तीन सप्ताह के अंदर एक व्यापक अभ्यास शुरू किया जाए और पूरा किया जाए।
अदालत की ओर से नियुक्त समिति तैयार करेगी गुणवत्ता मानक
न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने कहा कि अदालत की ओर से नियुक्त की गई तीन सदस्यीय समिति समिति केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) के परामर्श से एक महीने में बर्ड डायवर्टर के लिए जरूरी गुणवत्ता मानक तैयार करेगी ताकि इन मानकों में एकरूपता को बनाए रखी जा सके।
बर्ड डायवर्टर लगाने का काम तेजी से पूरा करें गुजरात-राजस्थान
पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा है कि सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि किसी भी पक्ष ने अदालत के सामने बर्ड डायवर्टर्स की स्थापना पर आपत्ति व्यक्त नहीं की है। पीठ ने निर्देश दिया कि गुजरात और राजस्थान राज्यों के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में बर्ड डायवर्टर लगाने का काम पूरी तेजी के साथ किया जाना चाहिए।
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी की याचिका पर सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एमके रणजीत सिंह व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है। यह याचिका अधिवक्ता सोनिया दुबे के माध्यम से दाखिल की गई थी। इस याचिका में इन दोनों विलुप्तप्राय पक्षियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है। पिछले साल 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेड इंडियन बस्टर्ड को बचाने की कोशिश में गुजरात और राजस्थान की सरकारों को ओवरहेड बिजली के तारों को अंडरग्राउंड करने का निर्देश दिया था। इसके लिए अदालत ने एक साल का समय देते हुए कहा था कि इस अवधि में जब भी सुविधाजनक को यह काम पूरा किया जाना चाहिए।