Uttarakhand and National-Current Affairs Hindi News Portal

भारत बदल गया!

हरिशंकर व्यास

बदलने का अर्थ है 140 करोड़ लोगों के दिमाग का बदलना। बुद्धि का जड़ होना। जिंदगी के हर मामले में मार्केटिंग, झांकियों, झूठ, इलहाम, भक्ति, इबादत, धर्म की पुरानी इतिहास अवस्था वाला व्यवहार। हिंदू हो या मुसलमान या कोई और धर्मावलंबी या सेकुलर, भारत में सभी के दिमाग अब बिना आप्शन और विचार के हैं। हिंदू दिमाग में धर्म के अलावा कुछ नहीं तो मुसलमान की मनोदशा भी ऐसी ही। लोगों को न वर्तमान की सुध है और न भविष्य की। जिंदगी की सच्चाईयों, समझदारी, ज्ञान-विज्ञान आधुनिकता, वैज्ञानिकता, विकल्पों का तो खैर सवाल ही नहीं।
उस नाते नरेंद्र मोदी, भाजपा सरकार और संघ परिवार सचमुच कामयाब है। भारत का जन-जन नई दिमागी अवस्था में है। धर्म ने दिमाग में बाकी सभी चीजों की सफाई कर दी है। ब्रेनवाश की यह अवस्था हिंदू और मुसलमान दोनों में समान गहराई से है। सब मोटा-मोटी यह ख्याल बनाए हुए हैं कि हमें धर्म के लिए लडऩा है। बताना है कि हम अधिक धार्मिक हैं।

धर्म ही जीवन, धर्म ही समाज, धर्म ही आर्थिकी, धर्म ही राजनीति और धर्म से ही रक्षा तथा आन-बान-शान है! इसलिए भारत का हर शहर, हर कस्बा, और हर गांव लोगों की इस दिनचर्या में जीता हुआ है कि आज का दिन धर्म-कर्म पर क्या व्हाट्सएप चर्चा लिए हुए है। हिंदू क्या करता हुआ है तो मुसलमान क्या? हम कम नहीं हैं। बता देंगे इनको इनकी औकात।
एक छोटे शहर की दिनचर्या में लोगों का ऐसे कितना सोचना हो गया है, इसका हाल में मैंने प्रत्यक्ष अनुभव लिया। हर बात का अंत हिंदू और मुसलमान में मिला। कोई माने या न माने भारत का हिंदू अब इसलिए कर्मकांडी हिंदू है क्योंकि उसे इस्लाम और मुसलमान को दिखलाना है कि हम तुमसे अधिक धर्मावलंबी हैं! सचमुच पाठकों को भी अपने शहर, अड़ोस-पड़ोस की धार्मिक गतिविधियों पर गौर करना चाहिए। धार्मिक गतिविधियों की कैसी स्थायी सुनामी हो गई है। मुझे बचपन की याद में ध्यान है कि पहले घरों में कभी-कभार सत्यनारायण की कथा होती थी। मंगलवार को हनुमानजी के मंदिर जाते थे। महिलाएं व्रत, उपवास रखा करती थीं लेकिन अब हर दिन, धर्म का दिन और कई तरह की कथाओं व पुरूषों के भी दिन विशेष या एकादशियों पर व्रत, धार्मिक आयोजनों का सामाजिक दिखावा सामान्य बात है।

तभी नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार से ब्राह्मण धन्य हैं। आठ वर्षों में महानगरों, नगरों, गांव-कस्बों में सर्वाधिक मांग पंडितों, पुजारियों की बढ़ी है और सर्वाधिक विस्तार मंदिरों का हुआ है। ब्राह्मणों की सामाजिक प्रतिष्ठा और कमाई बढ़ी है तो कथावाचकों के नाते ब्रांडिंग भी गजब! भाजपा के सांसदों, विधायकों और नेताओं की देखा-देखी अब दूसरी पार्टियो के नेताओं से लेकर नगर सेठों, एससी-एसटी सभी छोटी-बड़ी जातियों में होड़ है कि वे भी धर्म-कर्म की गतिविधियों में आगे दिखलाई दें। तभी पूजा-पाठ, भक्ति, प्रवचन, पर्व कथाओं और मूर्तियों-मंदिरों के नवीनीकरण, पुनर्स्थापना, पुन:प्राण प्रतिष्ठा आदि आयोजनों की बाढ़ आई है। मंदिरों, तीर्थयात्राओं में गजब भीड़। लगता है छुट्टियों में घूमने और पर्यटन का पुराना आइडिया अब 70-80 फीसदी धार्मिक यात्रा में परिवर्तित है। हर मंदिर नई रौनक, नए शृंगार में चकाचक। लोग कथा सुनने के लिए राजस्थान से रामेश्वर जा रहे हैं। चारधाम की यात्राओं के लिए हेलीकॉप्टर सेवा के लिए मारामारी है तो एक यात्रा पूरी हुई नहीं कि अगली कैलाश यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर यात्रा के साथ यह चर्चा भी कि वहां कुछ पैदल चलना होगा, क्या चल पाएंगें! प्रदेश सरकारों ने तीर्थयात्रा करवाने की स्कीमें बनाईं लेकिन अब सांसद-विधायक और हिंदू सेनानी चुपचाप पूरी रेल या डिब्बे बुक करवा कर शहर में हल्ला करवाते हैं कि फलांजी की कथा रामेश्वर में हो रही है तो गर्मियों में साउथ घूमने के साथ वहां भागवत कथा का भी आनंद लो।
मोटा-मोटी हर दिन भागवत कथा, सुंदरकांड, नरसिंह कथा, फलां पर्व, फलां ग्यारस-एकादशी, सोमवार, मंगलवार, गुरूवार, शनिवार के व्रत और पाठ में पंडितों, कथावाचकों की वह नई डिमांड है जो शायद जिलों और शहरों में डॉक्टरों की भी नहीं होगी।

और सबसे चौंकाने वाली बात जो पुण्य प्राप्ति-इच्छा-रोग निदान के लिए साधु-संतों, ज्योतिषियों, पंडितों, कथा, कथावाचकों की डिमांड में भी मेडिकल और शिक्षा संस्थाओं के एजेंटों जैसा ताना-बाना। एक दिलचस्प किस्सा सुनने को मिला। कलक्टरी के एक बाबू ने रिटायर होने से साल भर पहले प्रधानों-सरपंचों को पटा कर अपने आपको कथाज्ञानी बतला गांवों में भागवत बांची। कथावाचक के रूप में चर्चा कराई। रिटायर होने तक इतनी चर्चा करा दी कि अब पूरे जिले में वह भी कई कथावाचकों में एक स्थापित कथावाचक। रिटायर होने के बाद पैसा तो लोग पांव भी छूते हुए।

कुल मिलाकर जैसे मुसलमान की दिनचर्या में पांच दफा नमाज है तो हिंदू नौजवान हो या प्रौढ़, सभी सुबह उठते ही धर्म दिखलाते मिलेंगे। भगवानजी के दर्शनों के व्हाट्सएप पोस्ट देखेंगे, भेजेंगे, फारवर्ड करेंगें और बहस बनाएंगे कि फलां एकादशी आज है या कल। गीता, रामायण, भागवत या पर्व विशेष की कथा का सार बनाकर भक्तों को मैसेज प्रसारित करेंगे। तभी यदि कोई व्हाट्सएप पर धर्म चर्चा का हिसाब लगाए तो निश्चि ही हिंदू उसमें नंबर एक साबित होंगे।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.