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अग्निवीरों के लिए सबक

सेना में बहाली की नई योजना अग्निपथ के तहत चार साल के लिए बहाल होने वाले अग्निवीरों के लिए बड़ा सबक है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को संसद में बताया कि पिछले सात साल से रिटायर सैनिकों की सरकारी नौकरी में बहाली में कमी आ रही है और सात साल पहले के मुकाबले अब उनकी बहाली एक-चौथाई रह गई है। ध्यान रहे जब अग्निपथ योजना का विरोध हुआ तो केंद्र सरकार के कई मंत्रालयों ने और कई राज्यों ने कहा कि वे चार साल बाद रिटायर होने वाले अग्निवीरों को अपने यहां नौकरी देंगे। इसका बहुत प्रचार भी किया गया लेकिन अब तक ही हकीकत कुछ और है। सरकार ने खुद यह हकीकत बताई है कि 2015 से लेकर 2021 तक रिटायर सैनिकों को नौकरी देने में लगातार गिरावट हुई है।

केंद्र में 2014 में जिस साल भाजपा की सरकार बनी थी उसके अगले साल यानी 2015 में 10,982 रिटायर सैनिकों को सरकारी नौकरी मिली थी और पिछले साल यानी 2021 में 2,983 रिटायर सैनिकों को नौकरी मिली। यानी 2015 के मुकाबले करीब एक चौथाई लोगों को नौकरी मिली। यह आंकड़ा खुद केंद्र सरकार ने संसद में दिया है। 2015 के बाद से लगातार इसमें कमी आई। 2016 में 9,086 रिटायर सैनिकों को नौकरी मिली। उसके अगले साल 2017 में 5,638 और 2018 में 4,175 लोगों को नौकरी मिली।

कोरोना की महामारी शुरू होने से ठीक पहले 2019 में 2,968 रिटायर सैनिकों को सरकारी नौकरी मिली। कोरोना के पहले साल यानी 2020 में 2,584 और 2021 में 2,983 रिटायर सैनिकों को नौकरी मिली। वैसे भी पिछले कुछ सालों से सरकारी नौकरियां लगातार कम होती जा रही हैं। सो, चार साल की नौकरी के बाद रिटायर होने वाले अग्निवीरों के लिए वादा चाहे जो किया गया हो पर तस्वीर बहुत अच्छी नहीं दिख रही है।

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