अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ‘गंगा तेरा पानी अमृत’ पुस्तक का लोकार्पण, कोरोना योद्धाओं का सम्मान
हम दुनिया को बताएं कि भारतीय नारी पुरुषों के बराबर नहीं बल्कि वे पुरुषों से अधिक सम्मानित व ऊपर हैं: केंद्रीय मंत्री रुपाला
नई दिल्ली। केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रुपाला (Mr. Parshottam Rupala) ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के अवसर पर आयोजित समारोह में कहा कि हमने सदैव नारी शक्ति को नमन किया है। हमारे वेदों, पुराणों व भारतीय संस्कृति में कई उदाहरणों के माध्यम से नारी को देवी कहा गया है, उसे बराबरी का हक मांगकर अपने को छोटा नहीं करना चाहिए। उसे भारतीय संस्कृति में पहले ही ऊंचा दर्जा प्राप्त है वह किस बराबरी पर आना चाहती है? उन्होंने कहा पाश्चात्य लोगों ने इस विचार को हमारे देश मे फैला दिया जिसे हम मान गए। आज भारतीय नारी विश्व पटल पर भारतीय दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए सिद्ध कर चुकी है कि भारत में नारी का दर्जा बराबरी का नही बल्कि पुरुष से अधिक ऊपर है।
उन्होंने कहा के महिलाओं को संकल्प लेना होगा कि जब उनके घर बिटिया पैदा हो तब उतनी ही खुशी मनाई जाए जितनी पुत्र पैदा होने पर होती है, उसके पालन पोषण व शिक्षा पर उतना ही ध्यान दें जितना पुत्र को दिया जाता है तभी बेटा-बेटी का भेद भाव समाप्त होगा।
उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए श्री रूपला ने कहा कि यह कहना उचित नहीं होगा कि महिलाएं अपने परिवार को भोजन परोसने के बाद जो बच जाए वह रुखी सूखी खाती हैं। वे तो पूरे मैनेजमेंट की मालकिन हैं। उनको किसने रोका है। वे अपने भोजन के प्रति उदासीन न हों और अच्छे से अच्छा खा कर स्वस्थ्य रह सकती हैं। उन्होंने सभी कवियत्रियों की भूरी भूरी प्रशंसा की।
इसी अवसर पर श्री रूपला ने नेहा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित एक शोध पुस्तक ‘गंगा तेरा पानी अमृत’ (Ganga Tera Pani Amrit Book) का लोकार्पण किया। लोकार्पण करते हुए उन्होंने कहा कि गाय, गंगा और गायत्री (Cow, Ganga and Gayatri) भारतीय संस्कृति (The Indian heritage) की जननी है। इनके बिना हमारा कोई अस्तित्व नहीं। यदि गंगा न होती तो भीष्म न होते। देवव्रत की दृढ़ प्रतिज्ञा ने ही उन्हें भीष्म पितामह बना दिया। भीष्म न होते तो महाभारत न होता। उन्होंने बताया कि गुजरात में, यद्यपि उन्होंने देखा नहीं पर सुना है कि जिन लोगों को कुष्ठ रोग हो जाता था, उन्हे समुद्र के किनारे छोड़ दिया जाता था और समुद्र के पानी में स्नान करते समय मछलियां कुष्ठ रोगाणुओं को खा जाती थी और रोगी ठीक हो जाता था। इसलिए जल के औषधीय गुणों को नकारा नहीं जा सकता। गंगा का पानी निर्मल और औषधीय गुणों से भरपूर हैं। गंगा भारतीय संस्कृति का प्रवाह है। यह पुण्यदायी नदी मानुष्यों के पाप तो धोती ही है साथ ही देश के बड़े भू-भाग को सींचती व प्यास भी बुझाती है।
तीन विषयों का एक एकीकृत कार्यक्रम- गंगा तेरा पानी अमृत पुस्तक का लोकार्पण, करोना योद्धाओं का सम्मान और महिला दिवस पर कवि सम्मेलन रखा गया था। नेहा प्रकाशन और एंजिल वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा संयुक्त रूप से दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केन्द्र में आयोजित समारोह में पुस्तक के लोकार्पण के साथ ही उन लेखकों को ‘नमामि गंगे संस्कृति सम्मान’ स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्रम् से सम्मानित किया गया जिनके लेख इस पुस्तक में प्रकाशित हुए हैं।
नमामि गंगे संस्कृति सम्मान से सम्मानित होने वाले लेखक थे सर्वश्री गोवर्धन थपलियाल, डॉ. मोहसिन वली, कमल, डॉ. कामाक्षी, डॉ. शैलेन्द्र कुमार, मदन थपलियाल, डॉ. मधु के श्रीवास्तव, पार्थसारथि थपलियाल, व्योमेश जुगरान, मनोज गहतोड़ी, जगदीश कुकरेती, कुलदीप कुमार, अरविंद सारस्वत, डॉ. देवदत्त शर्मा (सोलन), कपिलदेव प्रसाद दुबे आदि।
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार,के कुलपति प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने पुस्तक में प्रकाशित लेखों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गंगा तेरा पानी अमृत एक शोध पुस्तक है जिसमें पतित पावन मां गंगा के पौराणिक आख्यानों से लेकर नमामि गंगे मिशन तक के हर पहलू पर पठनीय लेऽ है। उन्होंने गंगा के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इस पुस्तक की संपादक डॉ. मधु के श्रीवास्तव और परामर्शदाता मदन थपलियाल हैं।
महिला दिवस के अवसर पर महिला उद्यमी श्रीमती ईना सिंघानिया को महिला सशक्तिकरण, व उत्थान के लिए उनके द्वारा किए गए कामों तथा उद्यम के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सम्मानित किया गया।
महिला कवि सम्मेलन में सभी कवियत्रियों ने महिलाओं की भूमिका, समाजिक व्यवस्था पर कविता पाठ किया। जिन कवित्रियों ने कविता पाठ किया वे थी- नमिता राकेश, सुश्री तूलिका सेठ, डॉ. कुसुम पालीवाल व सविता वर्मा ‘गजल’।
कोरोना योद्धाओं को सम्मानित करते हुए श्री रूपला ने कहा कि कोराना के समय हमारे चिकित्सा सेवा में लगे चिकित्सकों ने अपने जीवन की परवाह किए बगैर लोगों की सेवा की। रात दिन जीवन बचाने के काम में लगे इन योद्धाओं का सम्मान उनके प्रति हमारी कृतज्ञता स्वरुप है। हमें अपने इन योद्धाओं पर गर्व है।
सम्मानित होने वाले कोरोना योद्ध थे- प्रो. (डॉ.) एम. वली, डॉ. आशे सहाय, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. अनूप कुमार, डॉ. माला छाबड़ा, डॉ. अमित वर्मा, डॉ. मंजू गुप्ता, डॉ. उपवन कुमार चौहान, डॉ. सारिका गुप्ता, डॉ. सतीश चंद पांडेय, डॉ. देशराज, डॉ. विमल डासी, प्रो. देवीप्रसाद त्रिपाठी, सर्वश्री संजय कुमार गुप्ता, मनोज गोयल, वी. एन. शर्मा, राजेन्द्र गुप्ता, मानेश कटारिया, राम गोपाल गुप्ता, सुभाष जिंदल, मनोज विश्नोई, पी.एस. चौहान, श्रीमती ज्योति गुरूनाथ, श्रीमती माधवी हितेशकुमार व्यास, श्रीमती पूनम श्रीवास्तव श्री सुनील गौतम व श्री राजेश कुमार सिंह। कोरोना योद्धाओं को प्रशस्ति पत्र व शॉल प्रदान कर सम्मानित किया गया।
इस समारोह की संयोजिका और गंगा तेरा पानी अमृत पुस्तक की संपादिक डॉ. मधु कुमारी श्रीवास्तव ने इस सफल आयोजन के लिए भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रुपाला के सहयोग की भूरि-भूूरी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मुझे रूपाला जी के चेहरे में गुजरात का भविष्य दिखाई देता है। श्री रूपाला ने भी डॉ. मधु के अथक प्रयासों, संकल्प शत्तिफ और लगनशीलता की प्रशंसा की।
अतिथियों से खचाखच भरे इस समारोह का संचालन आकाशवाणी के पूर्व सीनियर ब्रॉडकास्टर, वरिष्ठ मीडियाकर्मी व प्रख्यात साहित्यकार, पार्थसारथी थपलियाल ने बखुबी किया।