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यूपी का रण : सातवें चरण में मोदी मैजिक की होगी परीक्षा

यूपी। प्रदेश में सातवें चरण के चुनाव को लेकर सभी दल के नेता अपनी ताकत झोकने में लगे है। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा की इसबार जनता पर मोदी मैजिक चलता है या नही। बता दें की पीएम मोदी चुनाव को लेकर मैदान में उतरे है  जहाँ उन्होंने रोड शो कर जनता से रूबरू हुए।
भदोही : भाजपा विधायकों का इम्तिहान
जिले की भदोही और औराई सीट पर सपा-भाजपा में कांटे की टक्कर है, वहीं ज्ञानपुर सीट पर बाहुबली विधायक विजय मिश्रा और भाजपा के विपुल दुबे के बीच ब्राह्मण मतों के विभाजन को लेकर जोर-आजमाइश है। चूंकि, इस सीट पर बिंद जाति के मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है, इसलिए सपा प्रत्याशी व पूर्व मंत्री रामकिशोर बिंद बिरादरी के मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए जोर लगाए हुए हैं। उधर भदोही सीट पर मौजूदा विधायक भाजपा के रवींद्र नाथ त्रिपाठी को भी पूर्व विधायक व सपा उम्मीदवार जाहिद बेग से कड़ी टक्कर मिल रही है। कमोबेश औराई सीट पर भी भाजपा प्रत्याशी और मौजूदा विधायक दीनानाथ भाष्कर को सपा की अंजनी सरोज से कड़ी टक्कर मिल रही है।

जौनपुर : कहीं पर सपा-भाजपा में, तो कहीं त्रिकोणीय मुकाबला

मुंगरा बादशाहपुर से बसपा की विधायक सुषमा पटेल सपा के टिकट पर मड़ियाहूं से मैदान में हैं। उन्हें अपना दल-भाजपा गठबंधन प्रत्याशी डॉ. आरके पटेल से कड़ी टक्कर मिल रही है। बसपा से आनंद दुबे मैदान में हैं। यहां की मल्हनी विधानसभा क्षेत्र पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। यहां सपा विधायक लकी यादव के सामने जदयू से पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह, तो भाजपा से पूर्व सांसद केपी सिंह मैदान में हैं। यहां त्रिकोणीय मुकाबला है। सदर सीट पर मंत्री गिरीश यादव पर भाजपा ने दोबारा दांव लगाया है। सपा ने पूर्व विधायक अरशद खां और कांग्रेस ने पूर्व विधायक नदीम जावेद और बसपा ने सलीम खान को मैदान में उतार कर मुस्लिम वोटों के बंटवारे की पूरी कोशिश की है। जफराबाद में भाजपा विधायक हरेंद्र सिंह के सामने सपा ने पूर्व मंत्री जगदीश नारायण राय को उतारा है, तो केराकत में भाजपा विधायक दिनेश चौधरी के सामने पूर्व सांसद तूफानी सरोज मैदान में हैं। शाहगंज से सपा विधायक शैलेंद्र यादव ललई के सामने भाजपा-निषाद गठबंधन ने रमेश सिंह और बसपा ने इंद्रदेव यादव को उतार कर वोटों का बंटवारा कर दिया है। सपा ने मछलीशहर से विधायक जगदीश सोनकर का टिकट काट कर डॉ. रागिनी को उतारा है, तो भाजपा ने मेहीलाल और बसपा ने विजय कुुमार को उतार कर दलितों के बीच लकीर खींच दी है। मुंगरा बादशाहपुर और बदलापुर में भी कड़ी लड़ाई है।

चंदौली : इतिहास दोहराने की कोशिशें
जिले की चारों सीटों पर 2017 का परिणाम दोहराए जाने की कोशिशें हो रही हैं। हालांकि, इस बार भाजपा ने चार में दो सीटों पर प्रत्याशी बदल दिए हैं। दोनों सीटों के मौजूदा विधायकों का टिकट काटकर भाजपा ने नए चेहरे उतारे हैं, इसलिए पार्टी की मुश्किलें थोड़ी कम हो गई हैं। अलबत्ता जिले की चर्चित सीट सैयदराजा में इस बार सपा और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। मौजूदा विधायक सुशील सिंह को सपा के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्ल्यू से कड़ी चुनौती मिल रही है। जबकि सकलडीहा सीट पर सपा के मौजूदा विधायक प्रभुनाथ यादव और भाजपा के सूर्यमुनि तिवारी के बीच कड़ी टक्कर है। इसी प्रकार मुगलसराय सीट से मौजूदा विधायक साधना सिंह का टिकट काटकर भाजपा ने रमेश जायसवाल को उम्मीदवार बनाया है और सपा ने चंद्रशेखर यादव को व कांग्रेस ने चार बार के विधायक छब्बू पटेल को टिकट दिया है। इस सीट पर तीनों के बीच कड़ा मुकाबला है। चकिया के मौजूदा विधायक शारदा प्रसाद का टिकट काटकर भाजपा ने कैलाश खरवार को उतारा है। जबकि सपा ने विजयकांत पासवान को उतारकर लड़ाई को रोचक बना दिया है।

वाराणसी : तीन मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की आठों सीटों पर विपक्ष और भाजपा में जबरदस्त घमासान है। पिछले चुनाव में भाजपा और सहयोगी अपना दल (एस) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने मिलकर सभी सीटों पर विजय पताका फहराई थी। हालांकि, इस बार दक्षिणी सीट से नीलकंठ तिवारी को सपा के कामेश नाथ दीक्षित (किशन) से, तो शिवपुर सीट पर मंत्री अनिल राजभर को सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरविंद राजभर से चुनौती मिलती दिख रही है। हालांकि, सियासी पंडिताें की दलील है कि मोदी मैजिक के सहारे दोनों मंत्री सीट बचाने में कामयाब हो सकते हैं। शहर उत्तरी से चुनाव लड़ रहे मंत्री रवींद्र जायसवाल के सामने सपा ने अशफाक अहमद को मैदान में उतारा है। बाहरी का ठप्पा होने की वजह से अशफाक को कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।

आजमगढ़ : सपा के लिए गढ़ बचाने की चुनौती
पिछले चुनाव में जिले की 10 सीटों में से पांच पर सपा, चार पर बसपा और एक पर भाजपा जीती थी। इस बार परिस्थितियां बदली हैं। बसपा विधायक सुखदेव राजभर के निधन के बाद सपा ने दीदारगंज से उनके बेटे कमलाकांत राजभर को मैदान में उतार कर बसपा के वोटबैंक में सेंध लगाई है। भाजपा ने फूलपुर पवई से विधायक अरुणकांत यादव को टिकट नहीं दिया तो यहां सपा ने अरुण के पिता बाहुबली पूर्व सांसद रमाकांत यादव को मैदान में उतार दिया। यहां बसपा ने शकील अहमद, तो भाजपा ने रामसूरत मैदान में उतारा है। बसपा से सपा में आए मुबारकपुर विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को सपा ने भी टिकट नहीं दिया, तो उन्होंने एआईएमआईएम के टिकट पर मैदान में उतर कर लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है। इसी तरह आजमगढ़ सदर से आठ बार विधायक रहे दुर्गा प्रसाद यादव को रोकने के लिए उनकी तगड़ी घेरेबंदी की गई है। यहां बसपा ने सुशील कुमार सिंह और भाजपा ने अखिलेश कुमार मिश्रा को मैदान में उतारा है। गोपालपुर से सपा विधायक नफीस अहमद त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं। निजामाबाद में सपा विधायक आलमबदी तो भाजपा के मनोज और बसपा के पीयूष कुमार सिंह मैदान में हैं। मेहनगर में सपा ने विधायक कल्पनाथ पासवान का टिकट काट कर पूजा को मैदान मे उतारा है। यहां बसपा ने पंकज कुमार और भाजपा ने मंजू सरोज को उतारा है।

मऊ : मुख्तार की जगह बेटा मैदान में
मऊ सदर सीट पर इस बार माफिया मुख्तार अंसारी की जगह उनका बेटा मैदान में है। सुभासपा प्रत्याशी के रूप में अब्बास को अपने पहले चुनाव में ही भाजपा उम्मीदवार से कड़ी टक्कर मिल रही है। भाजपा ने मुख्तार के खिलाफ वर्षों से लड़ाई लड़ रहे अशोक सिंह को मैदान में उतारकर मजबूत घेरेबंदी की है। बसपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को मैदान में उतार दिया है, जो अब्बास के ही वोट बैंक में सेंध लगा रहे हैं। वहीं, मधुबन सीट से भाजपा विधायक रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री दारा सिंह चौहान इस बार सपा के टिकट पर लड़ रहे हैं। यहां भाजपा ने विजय कुमार राजभर को बसपा ने वसीम इकबाल को मैदान में उतारा है। मधुबन में सपा के टिकट को लेकर जोर आजमाइश चली। पहले सुधाकर सिंह को टिकट दिया गया और फिर उमेश पांडेय को मैदान में उतार दिया गया। ऐसे में सुधाकर बागी हो गए हैं। वह मधुबन के साथ ही घोसी को भी प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं। मधुबन में बसपा ने नीलम सिंह कुशवाहा और भाजपा ने रामबिलास चौहान को मैदान में उतारा है। मोहम्मदाबाद गोहना में भी सपा और भाजपा के बीच सीधी टक्कर है। यहां भाजपा ने पूनम सरोज और सपा ने राजेंद्र कुमार को मैदान में उतारा है। बसपा ने धर्म सिंह गौतम को मैदान में उतार दिया है।

गाजीपुर : दोनों ओमप्रकाश की राह आसान नहीं
इस जिले में कुल 7 सीटें हैं। 2017 में इनमें से सभी सीटें भाजपा गठबंधन ने जीती थीं। लेकिन इस बार के चुनाव में जमानिया में सपा के कद्दावर नेता ओमप्रकाश सिंह और जहूराबाद में सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर सियासी भंवर में फंसे हुए दिख रहे हैं। 2017 में भाजपा गठबंधन से विधायक चुने गए ओमप्रकाश राजभर को सपा की बागी और बसपा प्रत्याशी शादाब फातिमा और भाजपा के सजातीय कालीचरण राजभर से तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा सदर, जखनिया, सैदपुर, जंगीपुर सीट पर भाजपा और सपा के बीच ही मुख्य मुकाबला दिख रहा है। जबकि मुहम्मदाबाद सीट पर सात बार के विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिगबतुल्लाह अंसारी के पुत्र मन्नू अंसारी के बीच रोचक मुकाबला होने के आसार हैं।

मिर्जापुर : भाजपा के गढ़ में सपा दे रही चुनौती
2017 में सभी पांच सीटों पर भाजपा गठबंधन को जीत मिली थी। इस बार उसे सपा से कड़ी चुनौती मिल रही है। भाजपा के दिग्गज नेता व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह के पुत्र अनुराग सिंह को चुनार और अपना दल (एस) के प्रत्याशी राहुल कोल को छानबे सीट पर जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। दोनों लोग मौजूदा विधायक भी हैं। हालांकि, यहां के लोग यह भी मान रहे हैं कि उनके पास कोई विकल्प भी तो नहीं है। वहीं, मड़िह़ान सीट पर मंत्री रमाशंकर पटेल को रवींद्र बहादुर सिंह और मिर्जापुर सदर में विधायक रत्नाकर मिश्रा को पूर्व मंत्री कैलाश चौरसिया के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। इसी प्रकार मझवां सीट पर भाजपा ने युवा नेता डॉ. विजय बिंद को उतारा है तो सपा ने रोहित शुक्ला को उतारकर पिछड़े और ब्राह्मण मतों का अपने-अपने पक्ष में ध्रुवीकरण कराने में जुटे हैं।

सोनभद्र : सीट बचाने के लिए हर जतन कर रहे उम्मीदवार
प्रदेश का ऊर्जांचल कहे जाने वाले इस जिले में न कोई मुद्दा है, न कोई अन्य समीकरण साधने की रणनीति। जिले की चारों सीटों पर मुकाबला भाजपा और सपा के बीच ही दिख रहा है। 2017 में जिले की सभी सीटों पर भाजपा गठबंधन ने जीत हासिल की थी। भाजपा की परंपरागत सीट रही राबर्ट्सगंज सीट से विधायक भूपेश चौबे को अपनी सीट बचाने के लिए कान पकड़कर उठक-बैठक करने समेत कई तरह के जतन करने पड़े। उधर, दुद्धी और ओबरा में भी भाजपा गठबंधन और विपक्ष में कांटे की लड़ाई दिख रही है।

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