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सिद्धू, पीके का ठीकरा प्रियंका पर

कांग्रेस कमाल की पार्टी है। खत्म होने की कगार पर है लेकिन पार्टी के अंदर न साजिशें थम रही हैं और न गुटबाजी। कांग्रेस नेताओं का एक खेमा पहले दिन से प्रियंका गांधी वाड्रा के खिलाफ साजिश में लगा हुआ है और अब पिछले तीन साल में हुई तमाम गड़बडिय़ों का ठीकरा उनके ऊपर फोड़ रहा है। हैरानी की बात है कि बहन के साथ बेइंतहां दोस्ती और प्रेम दिखाने वाले राहुल गांधी भी इस पर चुप हैं। असलियत यह है कि अपने को राहुल गांधी का करीबी बताने वाले नेता ही इस काम में लगे हैं।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कुछ नेताओं की ओर से मीडिया में यह खबर प्लांट कराई जा रही है कि प्रशांत किशोर को कांग्रेस में लाने का प्रयास प्रियंका गांधी वाड्रा का था। मीडिया में कुछ लोगों को बताया गया कि प्रियंका ही पहले भी उनको लेकर आई थीं और दूसरी बार भी उन्हीं के कहने से प्रशांत ने अपना प्रेजेंटेशन तैयार किया और कांग्रेस को दिखाया। इसी खेमे ने यह प्रचार कराया कि प्रशांत किशोर ने प्रियंका को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसका खंडन खुद प्रशांत को करना पड़ा। असल में उन्होंने राहुल या प्रियंका में किसी को अध्यक्ष नहीं बनाने की सलाह दी थी। बहरहाल, पूरे पीके प्रकरण का ठीकरा प्रियंका पर फोड़ कर राहुल खेमे के नेता इस बात का श्रेय ले रहे हैं कि उन्होंने कांग्रेस को बचा लिया।
इसके साथ ही पंजाब के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के प्रकरण का ठीकरा भी प्रियंका पर फोड़ा जा रहा है। कहा जा रहा है कि प्रियंका ही सिद्धू को लेकर आई थीं और उन्हीं की जिद पर उनको प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया। उसके बाद की कहानी सब जानते हैं कि किस तरह सिद्धू ने पूरी पार्टी को निपटा दिया। इसके लिए प्रियंका को जिम्मेदार बताने वाली राहुल की टीम के सदस्य मीडिया में यह भी खबर प्लांट कर रहे हैं राहुल के करीबी राजा अमरिंदर सिंह बरार को प्रदेश अध्यक्ष बना कर उस गलती को ठीक किया गया है।

पिछले तीन साल की कांग्रेस की हार और गड़बडिय़ों का ठीकरा प्रियंका पर फोडऩे के लिए लोकसभा चुनाव का मुद्दा भी निकाला गया और याद दिलाया जा रहा है कि कैसे प्रियंका ने अमेठी और रायबरेली में चुनाव लड़वाया और राहुल को अमेठी जैसी सीट से नहीं जीता सकीं। और फिर विधानसभा चुनाव में भी पार्टी उनके चेहरे पर लड़ी तो दो सीटें मिलीं और ढाई फीसदी से कम वोट मिले। तभी प्रियंका के एक करीबी नेता का कहना है कि गलत समय पर साजिश के तहत प्रियंका को सक्रिय राजनीति में लाया गया और उत्तर प्रदेश का जिम्मा सौंपा गया। प्रियंका के करीबी चाहते थे कि एक राज्य की जिम्मेदारी देने की बजाय उनको सभी राज्यों के प्रचार में भेजा जाए। लेकिन यूपी के बाहर बाकी राज्यों में उनकी भूमिका बहुत सीमित रखी गई ताकि अगर कांग्रेस जीते तो श्रेय राहुल को मिले।

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