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कड़वे दौर में खट्टे-मीठे ब्रांड

आलोक पुराणिक तालिबानियों के ब्रांड होते हैं-पाकिस्तान वाले उन तालिबानियों को अच्छा तालिबानी कहते हैं, जो पाकिस्तान के इशारे पर भारत पर हमला करने का प्लान बनाते हैं, या भारत के हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार रहते हैं। पाकिस्तान के लिए बुरे तालिबानी वो होते हैं, जो पाकिस्तानी बच्चों के स्कूल पर ही बम धमाके कर देते हैं। तालिबानी और बम, दोनों में एक ही समानता है, सब जगह फटने की क्षमता होती है इनकी। अरविंद केजरीवाल ने खुद को मीठा आतंकवादी कहा है। आतंकवादी मीठा या कड़वा होने लग गया, तो बहुत आफत हो जायेगी। अमिताभ बच्चन एक इश्तिहार कहते हैं-कुछ मीठा हो जाये। अब डर सा लगने लग जायेगा कि मीठे के नाम पर कोई आतंकवादी तो नहीं आ रहा है। बेचने की दुनिया बहुत अलग टाइप की दुनिया है, यहां कुछ भी कैसे भी बेचा जा सकता है। भयंकर दुर्दांत डाकू गब्बर सिंह एक वक्त में बिस्कुट के एक ब्रांड के ब्रांड एंबेसडर थे। आतंकी अगर मीठा हो सकता है तो नमकीन भी हो सकता है। कुछ भी बेचा जा सकता है, कैसे भी बेचा जा सकता है। लोशन अगर जालिम हो सकता है, तो फिर नमकीन को आतंकवादी होने से कोई कैसे रोक सकता है। ब्रांडों की दुनिया बहुत अजीबोगरीब है। एक ही कंपनी के पास तंबाकू से जुड़ा ब्रांड विल्स है, और इसी कंपनी के पास आटे से जुड़ा ब्रांड आशीर्वाद है। कंपनी विल्स ब्रांड का आटा भी बना सकती है और आशीर्वाद ब्रांड की सिगरेट भी बना सकती है। बिकना चाहिए। अगर किसी को लगता है कि मीठा आतंकवादी ब्रांड बिक सकता है तो वह खुद को मीठा आतंकवादी भी बता सकता है। अगर किसी को लगता है कि नमकीन आतंकवादी ब्रांड बिक सकता है, तो वह आतंकवादी ब्रांड की नमकीन भी बना सकता है। बिकना चाहिए, तो विल्स आटा भी बेच लेंगे और मीठा आतंकवादी भी बेच लेंगे। शेक्सपियर कह गये हैं कि गुलाब को किसी भी नाम से पुकारें, वह गुलाब ही रहेगा। आतंकी को चाहे जिस नाम से पुकारो, वह आतंकी ही रहेगा। आतंकी सुधर कर दंगई बन जाता है, यह संभव है। दंगई प्रोग्रेस करे तो आतंकी बन जाता है। कुल मिलाकर अगर आतंकियों और दंगइयों से वोट मिलते हों, तो उन्हें लेने में हर्ज नहीं है। आतंकियों की सहायता से वोट मिलते हों, तो कोई गांधीजी के नाम का इस्तेमाल करके भी ले सकता है-गांधीजी ने कहा था-पाप से घृणा करो, पापी से नहीं। मीठे आतंकवादी, खारे आतंकवादी, हालात के मारे आतंकवादी, प्यारे आतंकवादी, नमकीन आतंकवादी, मोटे आतंकवादी, महीन आतंकवादी, जहीन आतंकवादी,आतंकवादियों के लिए इतने तरह के क्लासिफिकेशन संभव हैं। आतंकियों की ब्रांडिंग की शुरुआत हो गयी है, आगे तक जायेगी।

आलोक पुराणिक

तालिबानियों के ब्रांड होते हैं-पाकिस्तान वाले उन तालिबानियों को अच्छा तालिबानी कहते हैं, जो पाकिस्तान के इशारे पर भारत पर हमला करने का प्लान बनाते हैं, या भारत के हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार रहते हैं। पाकिस्तान के लिए बुरे तालिबानी वो होते हैं, जो पाकिस्तानी बच्चों के स्कूल पर ही बम धमाके कर देते हैं। तालिबानी और बम, दोनों में एक ही समानता है, सब जगह फटने की क्षमता होती है इनकी। अरविंद केजरीवाल ने खुद को मीठा आतंकवादी कहा है।
आतंकवादी मीठा या कड़वा होने लग गया, तो बहुत आफत हो जायेगी। अमिताभ बच्चन एक इश्तिहार कहते हैं-कुछ मीठा हो जाये। अब डर सा लगने लग जायेगा कि मीठे के नाम पर कोई आतंकवादी तो नहीं आ रहा है।

बेचने की दुनिया बहुत अलग टाइप की दुनिया है, यहां कुछ भी कैसे भी बेचा जा सकता है। भयंकर दुर्दांत डाकू गब्बर सिंह एक वक्त में बिस्कुट के एक ब्रांड के ब्रांड एंबेसडर थे। आतंकी अगर मीठा हो सकता है तो नमकीन भी हो सकता है। कुछ भी बेचा जा सकता है, कैसे भी बेचा जा सकता है। लोशन अगर जालिम हो सकता है, तो फिर नमकीन को आतंकवादी होने से कोई कैसे रोक सकता है। ब्रांडों की दुनिया बहुत अजीबोगरीब है। एक ही कंपनी के पास तंबाकू से जुड़ा ब्रांड विल्स है, और इसी कंपनी के पास आटे से जुड़ा ब्रांड आशीर्वाद है। कंपनी विल्स ब्रांड का आटा भी बना सकती है और आशीर्वाद ब्रांड की सिगरेट भी बना सकती है। बिकना चाहिए। अगर किसी को लगता है कि मीठा आतंकवादी ब्रांड बिक सकता है तो वह खुद को मीठा आतंकवादी भी बता सकता है।

अगर किसी को लगता है कि नमकीन आतंकवादी ब्रांड बिक सकता है, तो वह आतंकवादी ब्रांड की नमकीन भी बना सकता है। बिकना चाहिए, तो विल्स आटा भी बेच लेंगे और मीठा आतंकवादी भी बेच लेंगे। शेक्सपियर कह गये हैं कि गुलाब को किसी भी नाम से पुकारें, वह गुलाब ही रहेगा। आतंकी को चाहे जिस नाम से पुकारो, वह आतंकी ही रहेगा। आतंकी सुधर कर दंगई बन जाता है, यह संभव है। दंगई प्रोग्रेस करे तो आतंकी बन जाता है। कुल मिलाकर अगर आतंकियों और दंगइयों से वोट मिलते हों, तो उन्हें लेने में हर्ज नहीं है। आतंकियों की सहायता से वोट मिलते हों, तो कोई गांधीजी के नाम का इस्तेमाल करके भी ले सकता है-गांधीजी ने कहा था-पाप से घृणा करो, पापी से नहीं।
मीठे आतंकवादी, खारे आतंकवादी, हालात के मारे आतंकवादी, प्यारे आतंकवादी, नमकीन आतंकवादी, मोटे आतंकवादी, महीन आतंकवादी, जहीन आतंकवादी,आतंकवादियों के लिए इतने तरह के क्लासिफिकेशन संभव हैं। आतंकियों की ब्रांडिंग की शुरुआत हो गयी है, आगे तक जायेगी।

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