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विश्व भारती-नादान की दोस्ती जी का जंजाल

पार्थ सारथि थपलियाल

त्रेतायुग में भगवान राम को राजपद मिलने की बजाय वन जाना पड़ा। दुर्भाग्यवश सीता हरण के बाद किष्किंधा पर्वत पर हनुमान जी, सुग्रीव आदि से भेंट हुई और पता चला कि दशरथ नंदन सीता जी की खोज में भटक रहे हैं। पत्नी को लेकर समस्या सुग्रीव की भी थी। तो समझौता हुआ प्रभो ! पहले मेरा कष्ट निवारो फिर आपका कष्ट निवारेंगे। बाली-सुग्रीव युद्ध हुआ राम ने बाली को मारकर सुग्रीव की न्यायिक सहायता की, क्योंकि बाली ने अनुज वधु साथ दिया था। सुग्रीव बानर राज बना और सीता की खोज की गई दोस्ती आनंद के साथ पूरी हुई।

द्वापर में कुरुक्षेत्र में महाभारत हुआ। कर्ण की दोस्ती दुर्योधन के साथ थी। कर्ण जानता था कि दुर्योधन अन्याय पक्ष है, लेकिन कर्ण अपनी बचपन के समय दुर्योधन के उपकार को नही भूला और कर्ण ने दुर्योधन का साथ दिया। दोस्ती श्रीकृष्ण और अर्जुन की भी थी। सहायता मांगने दुर्योधन भी गया था और अर्जुन भी। श्रीकृष्ण सो रहे थे। दुर्योधन प्रतीक्षा में सराहने की ओर बैठे और अर्जुन पैरों की ओर। जागने पर श्रीकृष्ण ने कहा दोनों की बातें सुनी। कृष्ण ने कहा-दोनों ही बाल सखा हो, एक तरफ मै दूसरी ओर मेरी सेना युद्ध में शामिल होगी। बताओ तुम क्या चाहते हो? दुर्योधन ने सेना मांगी अर्जुन ने श्रीकृष्ण। कृष्ण अर्जुन के सारथि बने। जीत अर्जुन पक्ष की हुई। ये दोस्ती के उदाहरण हैं।

26 दिसम्बर 1991 को पूर्व सोवियत संघ का विघटन हुआ और संघ के 15 राज्य स्वतंत्र हो गए। (राष्ट्रपति मिखाइल गोर्वाचोव ने एक दिन पहले त्यागपत्र दे दिया था।) आज की चर्चा का केंद्रबिंदु यूक्रेन उन 15 राज्यों में से एक था। यूक्रेन की बड़ी चाहत थी कि वह नार्थ अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का सदस्य बन जाय। उसके लिए प्रयास तेज थे। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन यह नही चाहते थे। क्योंकि नाटो देशों के इस संगठन में 30 सदस्य यूरोपीय देश हैं। यह संगठन अपने सदस्य देशों की रक्षा करता है। अगर यूक्रेन नाटो का सदस्य बन जायेगा तो एकदम रूस की सीमा तक नाटो जुड़ जाएगा भविष्य संकटमय हो जाएगा। कई महीनों से स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई थी जो 24 फरवरी 2022 को तोपों और मिसाइलों की गर्जना में बदल गई। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदमिर जेलेन्स्की अपने नए दोस्तों के भरोसे थे। भरोसा भी ऐसा के अमेरिका वहीं से परमाणु बम गिरा देगा। इंग्लैंड तो दौड़े दौड़े आएगा। राष्ट्रपति जेलेन्स्की ने नाटो देशों के 27 राजप्रमुखों से फोन पर बात की लेकिन बहाने वैसे ही थे जैसे गैर हाजिर रहने पर स्कूल में बच्चे सुना देते हैं-सर मदर की तबियत ठीक नही थी, ..सर कल….। किसी ने कहा बैल ले जाने है तो दे दूंगा.. हल मेरे पास नही… किसी ने कहा हल तो है लेकिन हल चलाने वाला नही… मतलब कोई न कोई बहाना बांच दिया। सब ने सुना दिया कि हम मदद अपने संगठन के देशों की ही करते हैं, अभी तुम हमारे सदस्य नही हो, हम सहायता क्यों करें?

इस बीच एक रोचक किस्सा ये भी हुआ कि यूक्रेन का पक्का दोस्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान आर्थिक सहायता मांगने मास्को गए थे। रूस की धरती पर पॉंव रखते ही बोले कितना अच्छा समय है जब मैं रूस आया हूँ! इमरान की जग हंसाई ही हुई। स्वागत में कोई बड़ा मंत्री नही गया। युद्ध में जुटे पुतिन से मुलाकात तो हुई लेकिन कोई गरमाहट नही! कोई संयुक्त प्रेस वक्तव्य जारी नही! हो भी क्यों? कभी देखा या सुना कि किसी के घर पर गंभीर समस्या चल रही हो और घर का मुखिया किसी मांगने वाले के आने पर भांगड़ा करने लग जाय। ये तो पुतिन ने विश्व समुदाय को चकित करने का एक रास्ता रखा ताकि कोई ये न सोच सके कि रूस युद्ध का मन बना ही चुका हैं। यूक्रेन सीमा पर हो रही बमबारी में व्यस्त पुतिन ने इमरान खान को कुछ ही देर में बाय बाय कर दी। इमरान खान लौट के पाकिस्तान चले आये। कोई पूछे क्यों गए थे? उत्तर होना चाहिए पता नही। क्या लाये? उत्तर – यूक्रेन पर रूस की बमबारी की खबर!

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेन्स्की और पाकिस्तान प्रधानमंत्री दोनों अपने अपने ढंग से ठगे ठगे से रह गए। माना गा रहे हों- हम वफ़ा करके भी तन्हा रह गए… दिल के अरमा आंसुओं में बह गए…

कहते हैं दोस्ती जब भी करो पक्की करो
वरना नादान की दोस्ती जी का जंजाल

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